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मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के जीवन पर आधारित कविता यह कविता हिंदी के जाने माने  युवा कवि अमन अक्षर  जी द्वारा लिखी गई है सारा जग है प्रेरणा  प्रभाव सिर्फ राम है  भाव सूचियाँ बहुत हैं  भाव सिर्फ राम हैं. कामनाएं त्याग  पूण्य काम की तलाश में  राजपाठ त्याग  पूण्य काम की तलाश में  तीर्थ खुद भटक रहे थे  धाम की तलाश में कि ना तो दाम  ना किसी ही नाम की तलाश में  राम वन गये थे  अपने राम की तलाश में  भाव सूचियाँ बहुत हैं  भाव सिर्फ राम हैं आप में ही आपका  आप से ही आपका  चुनाव सिर्फ राम हैं भाव सूचिया बहुत हैं  भाव सिर्फ राम हैं.  भाव सूचियाँ बहुत हैं  भाव सिर्फ राम हैं ढाल में ढले समय की  शस्त्र में ढले सदा  सूर्य थे मगर वो सरल  दीप से जले सदा ताप में तपे स्वयं ही  स्वर्ण से गले सदा  राम ऐसा पथ है  जिसपे राम ही चले सदा दुःख में भी अभाव का  अभाव सिर्फ राम हैं भाव सूचिया बहुत है  भाव सिर्फ राम हैं  भाव सूचियाँ बहुत हैं  भाव सिर्फ राम हैं ऋण थे जो मन...

RashmiRathi Poem By Ramdhari Singh Dinkar

 रश्मिरथी पुस्तक के सभी सर्गों को नीचे दिए लिंक्स पर क्लिक करके पढ़ें : 1.  प्रथम सर्ग ~ रश्मिरथी ~ रामधारी सिंह 'दिनकर'   2.  द्वितीय सर्ग ~ रश्मिरथी ~ रामधारी सिंह 'दिनकर' 3.  तृतीय सर्ग ~ रश्मिरथी ~ रामधारी सिंह 'दिनकर' 4.  चतुर्थ सर्ग ~ रश्मिरथी ~ रामधारी सिंह 'दिनकर' 5.  पंचम सर्ग ~ रश्मिरथी ~ रामधारी सिंह 'दिनकर' 6.  षष्ठ सर्ग ~ रश्मिरथी ~ रामधारी सिंह 'दिनकर' 7.  सप्तम सर्ग ~ रश्मिरथी ~ रामधारी सिंह 'दिनकर' रश्मिरथी ~ रामधारी सिंह 'दिनकर' प्रथम सर्ग 'जय हो' जग में जले जहाँ भी, नमन पुनीत अनल को, जिस नर में भी बसे, हमारा नमन तेज को, बल को। किसी वृन्त पर खिले विपिन में, पर, नमस्य है फूल, सुधी खोजते नहीं, गुणों का आदि, शक्ति का मूल। ऊँच-नीच का भेद न माने, वही श्रेष्ठ ज्ञानी है, दया-धर्म जिसमें हो, सबसे वही पूज्य प्राणी है। क्षत्रिय वही, भरी हो जिसमें निर्भयता की आग, सबसे श्रेष्ठ वही ब्राह्मण है, हो जिसमें तप-त्याग। तेजस्वी सम्मान खोजते नहीं गोत्र बतला के, पाते ...